जिला की दिव्यांग Payal Thakur आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। पायल ठाकुर मंडी जिला से संबध रखती हैं, परंतु पायल जब तीन वर्ष की थीं तब से लेकर कुल्लू के दिव्यांग स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं और आज पायल कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुल्तानपुर में आठवी कक्षा की छात्रा हैं।
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8 अप्रैल को रशिया के वी केन कार्यक्रम में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व
पायल ठाकुर ने दिव्यांग होने के बावजूद कभी हार नहीं मानी और आज पायल ठाकुर ने कई प्रतियोगिताओं व बड़े मंच पर प्रस्तुति देकर अपनी आवाज का लोहा मनवाया है। पायल ठाकुर को बचपन से ही गाने और पढ़ाई का शौक था। 2015 को विंटर कार्निवॉल में बतौर प्रतिभागी भाग लिया, लेकिन उम्र कम होने के कारण कमेटी ने उसे प्रतियोगिता में नहीं लिया, उसके बाद पायल ठाकुर ने हार नहीं मानी।
2016 में वॉयस ऑफ हिमाचल का खिताब जीता और 2017 में वॉयस ऑफ सैंज का खिताब अपने नाम किया, उसके बाद पायल ने जी टीबी के सारेगामापा के मंच पर बेहतरीन प्रस्तुति दी और मैगा ऑडिशन तक पहुंचीं। नेशनल एसोसिएशन फॉर दा ब्लाइंड की सचिव शालिनी वत्स कीमटा ने कहा कि दिव्यांग पायल जब तीन वर्ष की थी, तो उस समय उसके माता-पिता मंडी छोड़कर कुल्लू में आए थे। चद्र आभा मैमोरियल स्कूल में पढ़ाई करवाने के लिए भेजा, जहां पर शिक्षकों ने पायल की पढ़ाई लिखाई के साथ गाने में रुचि को देखते हुए पास के सूत्रधार कला संगम में गायिकी की बारिकियों को सिखाया। उन्होंने कहाकि पायल ठाकुर बहुत मेहनत है जिससे वो अपनी मेहनत और लगन के साथ हमेशा आगे बढ़ रही है। पायल ठाकुर की माता सुनीता ठाकुर ने बताया कि सभी के सहयोग से पायल को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है।
दिव्यांग पायल ठाकुर ने बताया कि 18 अप्रैल को रशिया के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में अपने प्रस्तुति देंगी, जिसके लिए वो कड़ी मेहनत कर रही हैं और थोड़ा नर्वस भी हैं कि दूसरे देश में जाकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अच्छी प्रस्तुति दी जाए, ताकि देश प्रदेश का नाम रोशन हो सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय के लिए वो नेशनल प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रही हैं, जिससे वो राइजिंग स्टार जैसे बड़े शो में अपनी गायिका प्रदर्शन करेंगी।

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8 अप्रैल को रशिया के वी केन कार्यक्रम में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व
पायल ठाकुर ने दिव्यांग होने के बावजूद कभी हार नहीं मानी और आज पायल ठाकुर ने कई प्रतियोगिताओं व बड़े मंच पर प्रस्तुति देकर अपनी आवाज का लोहा मनवाया है। पायल ठाकुर को बचपन से ही गाने और पढ़ाई का शौक था। 2015 को विंटर कार्निवॉल में बतौर प्रतिभागी भाग लिया, लेकिन उम्र कम होने के कारण कमेटी ने उसे प्रतियोगिता में नहीं लिया, उसके बाद पायल ठाकुर ने हार नहीं मानी।
2016 में वॉयस ऑफ हिमाचल का खिताब जीता और 2017 में वॉयस ऑफ सैंज का खिताब अपने नाम किया, उसके बाद पायल ने जी टीबी के सारेगामापा के मंच पर बेहतरीन प्रस्तुति दी और मैगा ऑडिशन तक पहुंचीं। नेशनल एसोसिएशन फॉर दा ब्लाइंड की सचिव शालिनी वत्स कीमटा ने कहा कि दिव्यांग पायल जब तीन वर्ष की थी, तो उस समय उसके माता-पिता मंडी छोड़कर कुल्लू में आए थे। चद्र आभा मैमोरियल स्कूल में पढ़ाई करवाने के लिए भेजा, जहां पर शिक्षकों ने पायल की पढ़ाई लिखाई के साथ गाने में रुचि को देखते हुए पास के सूत्रधार कला संगम में गायिकी की बारिकियों को सिखाया। उन्होंने कहाकि पायल ठाकुर बहुत मेहनत है जिससे वो अपनी मेहनत और लगन के साथ हमेशा आगे बढ़ रही है। पायल ठाकुर की माता सुनीता ठाकुर ने बताया कि सभी के सहयोग से पायल को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है।
दिव्यांग पायल ठाकुर ने बताया कि 18 अप्रैल को रशिया के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में अपने प्रस्तुति देंगी, जिसके लिए वो कड़ी मेहनत कर रही हैं और थोड़ा नर्वस भी हैं कि दूसरे देश में जाकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए अच्छी प्रस्तुति दी जाए, ताकि देश प्रदेश का नाम रोशन हो सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय के लिए वो नेशनल प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रही हैं, जिससे वो राइजिंग स्टार जैसे बड़े शो में अपनी गायिका प्रदर्शन करेंगी।

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