तू पँख ले ले,
मुझे सिर्फ हौसला दे दे ।
फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे ।
इन पंक्तियों पर खरी उतरती है साहस और हिम्मत रूपी देवी कृष्णा पालमो उर्फ़ टशी
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में हिमाचल दिवस के पावन अवसर (15 अप्रैल 1984) पर जन्मी होनहार बेटी चित्रकारिता क्षेत्र में आज उस मुकाम तक पहुंचने में कामयाब हुई है जहाँ पहुँचने में कई सालें बीत जाती है । टांग के पोलियो से ग्रस्त होने के बाबजूद कृष्णा ने हिम्मत नहीं हारी । अपने बुलन्द हौसलों रूपी उड़ान से युवावस्था में ही बौद्ध धर्म की विशेष थंका चित्रकला शैली में महारत हासिल की और समाज के दिव्यांगों को एक नई राह दिखाई ।
आज इनकी पेंटिंग का हर कोई दीवाना है । हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य कई राज्यों में भी इनकी कला की सहराहना की जाती है और भिन्न-भिन्न जगहों पर इनकी चित्रकला की प्रदर्शनियां लगाई जाती है । कृष्णा अपने विचारों और अभ्यास की घटनाओं को रंगों के माध्यम से कैनवास पर उतारने का कार्य बख़ूबी कर रही है । आज बहुरंगी व्यक्तिव की धनी कृष्णा पालमो सभी महिलाओं को मज़बूत और सशक्त बनाने के लिए एक प्रभावी चेहरा होने के साथ साथ किसी बड़ी प्रेरणा से कम नहीं है । इतना ही नहीं कृष्णा एक कवियित्री भी है । चित्रकारिता के साथ साथ इन्होंने हिंदी/अंग्रेजी दोनों भाषाओं में 100 से अधिक कविताएं भी लिखी है जो सभी युवाओं ,महिलाओं और समाज के अन्य वर्गों के लिए एक नए जोश का संचार करवाती है । इस मुकाम तक पहुंचने में पालमो को अपने परिजनों और सहयोगियों का भी भरपूर साथ और प्यार मिला । अपने चित्रों में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरने का कार्य कृष्णा निरन्तर कर रही है । सोशल मीडिया से पहचान में आई कृष्णा पालमो आज किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है ।
●आभार दैनिक जागरण की युवा रिपोर्टर परी वर्मा जी का जो निरन्तर इस तरह के हुनर को समाज तक पहुंचाने का कार्य कर रही है।
आनी टुडे की तरफ़ से कृष्णा पालमो के भविष्य के लिए शुभकामनाएं ।आप जीवन में निरन्तर उन्नति करें और स्वस्थ ,निरोग रहे ।
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