Sunday, 10 September 2023

शगागी में क्यों फैंके शमशरी महादेव पर बिच्छू बूटी,घास व आटा


 ---- शगागी में क्यों फैंके शमशरी महादेव पर बिच्छू बूटी,घास व आटा

(Diwan Raja,Anni Today )

हिमाचल प्रदेश देव भूमि के नाम से पूरे विश्व में विख्यात है।  यहां के लोगों की देवी देवताओं के प्रति असीम व अटूट श्रद्धा है। 


यहां लगभग हर गांव व कुटुंब में देवी देवताओं के मंदिर विराजमान हैं।


 हिमाचल प्रदेश के विभिन्न गांवों में हमेशा से देव परंपराओं का पालन व निर्वाह किया जाता रहा है। देवताओं के सम्मान में ग्रामीण साल भर समय-समय पर विभिन्न मेलों का आयोजन करते हैं। मेलों का आयोजन यूं ही मनोरंजन के लिए नहीं किया जाता है, हर मेले को मनाने के पीछे कोई न कोई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस दौरान ग्रामीण अपनी लोक संस्कृति के रंग में रंगे हुए नजर आते हैं। वहीं, इन मेलों द्वारा युवा पीढ़ी को अपनी देव व लोक संस्कृति को करीब से जानने का अवसर प्राप्त होता है।


इन दिनों क्षेत्र के आराध्य एवं गणपति शमशरी महादेव जतराला  मेले के चलते क्षेत्र के दौरे पर हैं।इस दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएं भी सामने आ रही हैं ।

पिछले कल शमशरी महादेव कोहिला से खुन्न के लिए रवाना हुए। आज खुन्न के साथ लगते क्षेत्र शगागी पहुंचे। 

यहां एक ऐतिहासिक घटना पेश आई जिसे सभी ने अपने कैमरे में कैद किया।  

विडियो में देखा जा रहा है कि कुछ लोग शमशरी महादेव व उनके भक्तों पर मिट्टी के ठेलों जिन्हें स्थानीय बोली में जेबड़ा कहा जाता है, आटे की आरी, कुंगशी से हमला कर रहे हैं।


इसके पीछे क्या है वजह :


जानकारी के मुताबिक शगागी क्षेत्र कभी मलाणा गांव के प्रसिद्ध देवता जमलू का हुआ करता था और ग्रामीणों के अनुसार यहां के लोग भी जमलू को ही मानते थे। और उनके सानिध्य में जतराला या अन्य मेलों का आयोजन होता था । फिर एक दिन शमशरी महादेव यहां पहुंचे और इस क्षेत्र पर कब्जा करके इसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। चूंकि यहां के लोग देवता जमलू को मानते थे तो उस समय सुबह के समय जब गांव की औरतें तरह तरह के पकवान ,खाना बनाने के लिए आटा गूंथ रही होती है जब उन्हें पता चलता है की शमशरी महादेव क्षेत्र पर कब्जा करना चाह रहे हैं तो उन्हें रोकने के लिए आटे की आरियां और जो उस समय वहां के लोगों के हाथों में आया उससे शमश्री महादेव पर हमला बोल देते हैं जिसके चलते शमशरी महादेव पर आटा, कुंगशी, घास, कांटे व अन्य चीजों से हमला करते हैं । ताकि वे इस सीमा को पार न कर सके।  लेकिन शमशरी महादेव की इस युद्ध में जीत होती है । जिसके बाद जमलू देवता वापिस अपने गांव चले जाते हैं और शमशरी महादेव इस क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित करते हैं। जिसके बाद यहां के लोग भी  शमशरी महादेव को मानते हैं और उनके सम्मान में मेले का आयोजन किया जाता है।

 

बताते चलें, यह क्षेत्र लढ़ागी से लेकर शगागी तक उनके सबसे बड़े बेटे नाग गडूमी का था , जिस पर उनका अधिकार था लेकिन नाग गडूमी ने इसे शमशरी महादेव को सौंप दिया , इस शर्त पर कि महादेव जब भी यहां इन क्षेत्रों का दौरा करेंगे तो उन्हें अपने रथ में जगह देंगे और वहां बिठाएंगे ।


इन क्षेत्रों में यह परंपरा सदियों से निभाई जा रही है ,बीते दिनों कोहिला में ऐसा नजारा देखने को मिला और कल यहां पर गडूमी नाग महादेव के रथ पर सवार होंगे । 

  बरहाल ,मेले में खूब जश्न का माहौल है। करीब चार दिनों बाद शमश्री महादेव यहां से बटाला के लिए प्रस्थान करेंगे।

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